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अमेरिका , रुस ने आज से 54 वर्ष पहले चांद पर अपने सांइसटिस्ट भेजें और जल्द ही उन्होनें यह मान लिया की अब बार-बार चांद पर जाकर समय और पैसे की बर्बादी नही करनी चाहिए। 21 जुलाई 1969 को जब नील आर्मस्टांग चांद पर उतरा उस समय तो शायद दुनिया के अन्य पिछडे़ं देश तो यही कहते होगें कि अमेरिका रुस आदि देशो ने सपना देखा होगा कि वो चांद पर गए है। इतने वर्ष हो गए उन्हें चांद से अपने दिमाग को हटाए कि वहां कुछ नही है समय बर्बाद करने को। अब तुम दूसरे से कुछ न सीख कर बार-बार चांद पर उतरकर अपनी ही पीठ थपथपा कर खुश हो रहे हो तो यह बचपने के अलावा कुछ भी नही दिखता। हां अगर यही कार्य ब्रहाण्ड़ में किसी नई दिशा में कुछ नए ग्रह पर खोज की जाए तो वो गलत न होगा। बाकी तुम मुझसे ज्यादा समझदार हो जो अच्छा लगे उसे ही सही मानना।
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