क्या भारत को हिन्दू राष्ट बनाना चाहिए?

परमात्मा –
भारत छोड़ो , विश्व भर में कोई भी राष्ट किसी भी धर्म का नहीं होना चाहिए। राष्ट एक भूखंड के टुकड़े का नाम होता है और धर्म एक जीवित व्यक्ति के भीतर की आग का नाम होता है। धर्म राष्ट का नहीं होता। अगर राष्ट धार्मिक हो सकता तो कृष्ण , बुद्ध , महावीर , मोहम्मद , जीजस , नानक , कबीर आदि महा पुरुष किसी न किसी पूरे राष्ट को तो धार्मिक बना ही गए होते।
अगर किसी भी एक धर्म का राष्ट बनाने को इच्छुक हो तो मुस्लिम राष्टों को ही देख लो। शायद तुम्हारे सिर पर चढ़ा हिन्दू राष्ट का भूत जल्दी ही उतर जाये।
राजनेता ये धर्मो का पत्ता सत्ता हथियाने के लिए फेंकते ही है गलती उनकी कम तुम्हारी ज्यादा है कि तुम उसमे फस जाते हो।
ये प्रश्न कैसे उठा ? क्योकि तुम धर्म को किसी न किसी भीड़ से जोड़ कर देखने लग गए हो। फिर वो भीड़ चाहे हिन्दुओ की हो या मुसलमान की , सिख की हो या ईसाई की। कोई फर्क नहीं पड़ता है। भीड़ तो भीड़ होती है भीड़ जब कोई उपद्रव करे तो उसपर कोई भी कानूनी कार्यवाही नहीं हो पाती क्योकि पता ही नहीं चलता की उपद्रव किस व्यक्ति विशेष ने किया है। क्योकि भीड़ का कोई चेहरा नहीं होता। असल में भीड़ कुछ भी होती ही नहीं है।। मानो दो सौ व्यक्तियों की भीड़ ने कोई उपद्रव किया तो तुम कहते हो की अमुक भीड़ ने मंदिर या मस्जिद तोड़ दी। अब तुम उन सभी दो सौ व्यक्तियों को अलग अलग खड़ा कर दो तो बताओ कि भीड़ कहा गए। व्यक्ति तो अब भी वह दो सौ ही है। तो भीड़ कुछ भी नहीं है उसे तुम सही या गलत कैसे कह सकते हो अभी एक भीड़ उपद्रव कर रही है तुम कहोगे कि वो गलत है थोड़ी ही देर में वो हिन्दू या मुस्लिम के कपडे पहन लेते है तुम कहोगे कि वो धर्मिको की भीड़ है।
तो क्या वो दो सौ व्यक्तियों की भीड़ धार्मिक वस्त्र पहनने से धार्मिक हो गयी ? नहीं !
तो भारत क्या है 140 करोड़ लोगो की भीड़। अब तुम सोचते हो कि भारत को हिन्दू राष्ट्र बना लेने से क्या ये सभी धार्मिक हो जायेंगे ?



फिर तो तुम ढीक हो और कृष्ण , बुद्ध , महावीर , मोहम्मद , जीजस , नानक , कबीर आदि महा पुरुष गलत।
क्योकि उनको तो मालूम ही नहीं था कि व्यक्तिर्यो को धार्मिक ऐसे भी बनाया जा सकता है।
स्वयं सोचो क्या हिन्दू राष्ट होने से कुछ भी लाभ होगा ? हाँ एक लाभ जरूर होगा कि तुम सभी जो अहंकार वश कहते हो कि गर्व से कहो हम हिन्दू है उसमे चार चाँद और लग जायेंगे। क्योकि अब तुम सभी हिन्दू मिलकर बाकी धर्मो वालो को और दबा सकते हो कि ये तो हिन्दू राष्ट्र है और हम हिन्दू है।
लेकिन इससे क्या होगा समाज में शांति बढ़ेगी या और ज्यादा खून खराबा होगा ?
कभी नहीं सोचा कि अगर ऐसे ही हम सभी १४० करोड़ लोगो के बीच नफरत बढ़ती रही तो एक दिन १५-२० वर्ष बाद जब हमारे बच्चे घर से बाहर पड़ने लिखने या नौकरी करने जायेंगे तो हम सभी के मन में भय होगा कि कंही दूसरे धर्म वाले हमारे बच्चे कि हत्या न कर दे।
वास्तव में धर्म हिन्दू , मुस्लिम , सिख , ईसाई , बोध , जैन होने का नाम नहीं है , धर्म तो नाम है भीतर के प्रेम के उदय होने का।
अगर तुम्हारे भीतर भी प्रेम का उदय हो गया तो तुम धार्मिक अन्यथा तुम हिन्दू , मुस्लिम , सिख , ईसाई , बोध , जैन। और कुछ भी तो नहीं।
तो प्रश्न था कि क्या भारत को हिन्दू राष्ट बनाना चाहिए ?
उत्तर है: – नहीं ! इससे केवल घृणा ही बढ़ेगी और कोई भी लाभ नहीं होगा।


Who is “PARMATMANA”

“Parmatmana” : is the name of greatness. “Parmatmana” : One is the name of bliss. “Parmatmana” : The name of a festival. “Parmatmana” : Name of a way of living life the name which indicates the way of living. “Parmatmana” : It is the name of a flood of love in which anyone dives and falls in love. “Parmatmana”: it’s the name of a person who gave this era the scientific religion that is alive today.

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