क्या हमारा पूरा जीवन पहले से ही निर्धारित है ?

परमात्मा: – नहीं !

क्योकि फिर तो कोई कर्म करने की आवश्यकता ही नहीं होती। और यही तो कारण है भारत के दुर्भाग्य का।
यहाँ वो भी गलत है जो मानता है की सभी कुछ भाग्य द्वारा होता है , और वो भी गलत है जो मानता है कि सभी कुछ सरकारों की या देश की जिम्मेदारी है।
कोलम्बस ने अमेरिका की खोज चार सो वर्ष पहले की। लेकिन आज अमेरिका की हालत देख लो। वो अपना समय भाग्य के भरोसे बैठ कर खराब नहीं करते। और हम जो विश्व गुरु होने का भ्रम पाले बैठे है हम आज भी पिछड़े हुए देशो में आते है।
जब तक भारत अपना सारा सड़ा गला ज्ञान और भूत की कहानियों को नहीं छोड़ेगा तब तक भारत आगे उन्नति नहीं कर पायेगा।
यहाँ सभी लोग भेड़ चाल में ही चलते है।

अगर हम आज की राजनीति की ही बात करे तो १५-२० वर्ष पहले जब कोई गुजरात के ब् ड मोदी को केवल इस वजह से जानता था कि वो हिन्दू मुस्लिम कि आग लगवाता है वंही आज मोदी को लोग इस वजह से जानते है कि ये अकेला ही देश का भला कर सकता है। ऐसा क्यों है क्योकि सभी अपनी अपनी पुरानी जन्मो कि विचारधाराओ को साक्षी मानकर ये माने बैठे है कि हिन्दू होना ही धार्मिकता है। और उसे हिन्दू मुस्लिम करके चाहे कोई राजनेता पूरे भारत को गृह युद्ध की और ले जाये। हमारा प्रश्न था कि क्या हमारा पूरा जीवन पहले से ही निर्धारित है ?

तो उत्तर है नहीं हम चाहे तो अपने जीवन को आसमान की उचाईयो तक ले जाए और चाहे तो राजनेताओ के बहकाये अनुसार आपस में कट मरे। जीवन मिलता है लेकिन जीना खुद पड़ता है।




Dhram ki Dukan :लो खुल गयी एक ओर धर्म की दुकान

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